India usa china spending on artificial intelligence compariosn un report.

आने वाली तकनीक को लेकर दुनिया के देश किस तरह की तैयारी कर रहे हैं, इसे लेकर यूनाइटेड नेशंस ने एक रिपोर्ट पब्लिश किया है. इस 170 देशों के लिस्ट में भारत का स्थान 36वें नंबर पर है. तीन साल में भारत की रैंकिंग में 12 पायदान का सुधार आया है.इसी रिपोर्ट का एक और पहलू एआई पर दुनिया के बड़े देशों का होने वाला खर्च है. विकासशील देशों में भारत और चीन – यही दो ऐसे देश हैं जहां एआई पर बड़ा प्राइवेट इंवेस्टमेंट हो रहा है.

एआई की दुनिया में अमेरिका का जलवा पहले की तरह आज भी कायम है. यूएस ने 2023 में 67 बिलियन डॉलर निवेश किया. जो दुनिया के कुल निवेश का करीब 70 फीसदी था. चीन 8 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ दूसरे जबकि भारत करीब डेढ़ बिलियन डॉलर के साथ इस मामले में दसवें नंबर पर रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2033 तक एआई का बाजार 4.8 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच सकता है. आइये यह भी समझें कि एआई से कितनी नौकरी प्रभावित होंगी.

40 फीसदी नौकरी होंगी प्रभावित

हालांकि, एआई का बुनियादी ढांचा और विशेषज्ञता अभी कुछ ही अर्थव्यवस्थाओं तक सीमित नजर आता है. एआई दुनिया भर में 40 फीसदी नौकरियों को प्रभावित कर सकता है. इससे काम की उत्पादकता तो बढ़ेगी लेकिन एआई का बोलबाला होने से नौकरियों के खोने या फिर दूसरी नौकरी में चले जाने की स्थितियां पैदा होंगी. चीन और भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी होते हुए एआई डेवलपर्स की इस कहानी में लाभ उठा सकते हैं.

भारत का एआई मिशन पर जोर

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत लगभग 1 करोड़ 30 लाख डेवलपर्स के साथ काफी अच्छी स्थिति में है. वहीं, ब्राजील में एआई में 40 लाख प्रतिभाएं हैं. ये दोनों देश GitHub पर GenAI प्रोजेक्ट बनाने वाले अग्रणी देशों में से हैं, और AI में प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान निभा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में, भारतीय कैबिनेट ने AI नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए AI मिशन को मंजूरी दिया. इसका मकसद एआई कार्यक्रमों प्रोग्राम को आसान करना और उसमें लोगों की संख्या को बढ़ाना है.

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